![]() जो हमारे देश की राष्ट्रीयता को अस्त कर दे| ध्वान्त कोई है नहीं आकाश में ऐसा विरोधी, राष्ट्र की सीमांत रेखाएं नहीं हैं बालकों के खेल का कोई घरौंदा, पाँव से जिसको मिटा दे| देश की स्वाधीनता सीता सुरक्षित है, किसी दश- कंठ का साहस नहीं, ऊँगली कभी उसपर उठा दे| देश पूरा एक दिन हुंकार भी समवेत कर दे, तो सभी आतंकवादियों का बगुला टूट जाये| किन्तु, ऐसा शील भी क्या, देखता सहता रहे जो आततायी मातृ-मंदिर की धरोहर लूट जाये| रोग, पावक, पाप, रिपु प्रारंभ में लघु हों भले ही किन्तु, वे ही अंत में दुर्दम्य हो जाते उमड़कर| पूर्व इस भय के की वातावरण में विष फ़ैल जाये, विषधरों के विष उगलते दंश को रख दो कुचलकर झेलते तूफ़ान ऐसे सैकड़ो आये युगों से, हम इसे भी ऐतिहासिक भूमिका में झेल लेंगे| किन्तु, बर्बर और कायरता कलंकित कारनामों की पुनरावृति को निश्चेष्ट होकर हम सहेंगे| अनमोल वचन: चलना है, केवल चलना है| जीवन चलता ही रहता है| रुक जाना है, मर जाना ही, निर्झर यह झड़ कर कहता है| |