![]() मै यौवन लेकर आया हूँ! आतुर कण कण से मिलने को फड़क रही हैं मेरी बाहें! निकल गया मैं जिधर, उधर ही टूटे शिखर, गयीं बन राहें! मुझमे जादू है, मिट्टी को छू दूँ, बन जाये सोना! मेरे हृदय-कमल से सुरभित है पृथ्वी का कोना-कोना! दिन में चमका प्रखर सूर्य-सा, निशि में शशि बन मुस्काया हूँ! मैं आया हूँ जीवन लेकर, मैं यौवन लेकर आया हूँ! सावन की घनघोर घटा-सा मैं बरसूँगा, मैं लरजूंगा! और वज्र-सा भीम व्योम के वक्षस्थल पर मैं गरजूंगा! चूमा करती है बिजली को बादल में हँस मेरी हस्ती रज-रज के जर्जर प्राणों में भर दूँगा मैं अपनी मस्ती! जगती के सौंदर्य फूल पर! भौंरा बनकर मंडराया हूँ! ............. पैठा हूँ पाताल-गर्भ में, महासिंधु सा लहराया हूँ! मैं आया हूँ जीवन लेकर, मैं यौवन लेकर आया हूँ! (जीवन और यौवन से) अनमोल वचन: चलना है, केवल चलना है| जीवन चलता ही रहता है| रुक जाना है, मर जाना ही, निर्झर यह झड़ कर कहता है| |